kavita
Wednesday 8 March 2023
वक्त की आहट
खुद पे गरूर इतना अच्छा नहीं
किसी की आह न लेकर चल -
वक्त किसी का सगा नहीं .
पीतल के बर्तन में पानी रखना अच्छा नहीं .
खुद पे गरूर इतना अच्छा नहीं ।।
Friday 16 December 2022
Monday 4 February 2019
कविता ही तो जिंदगी हैं
मिट्टी के ये खेल खिलौने .
झूठे मन के ताने बाने. पल भर में ये ढेर हो जाते .
खेल -खेल में खेल हो जाते.
बन कर रॉही जब चलते हैं .
ठोकर लगकर - फिर उठते हैं .
बंधे हुए रिश्ते हाथों से तेरे .
कभी गिरते - कभी लड़ते हैं.
फिर उठता है फिर गिरता है.
झूठ का चश्मा - जब - तु पहन के चलता.
घर की दीवारें तुमसे बोले .
मिट्टी के ये खेल खिलौने .
झूठे मन के ताने बाने .
पल भर में ये ढेर हो जाते .
खेल- खेल में खेल हो जाते.
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